Friday, December 13, 2019

फ्रांस के लोग बात-बात पर सड़कों पर क्यों उतर आते हैं?

फ्रांस में इन दिनों सरकार की ओर से प्रस्तावित पेंशन नीति में बदलाव के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं. इन विरोध प्रदर्शनों ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि पिछले हफ़्ते पूरे देश में यातायात ठप सा हो गया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लोग राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की यूनिवर्सल पॉइंट बेस्ड पेंशन प्रणाली का विरोध कर रहे हैं. मैक्रों की सरकार चाहती है कि देश में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए चल रही अलग-अलग पेशन स्कीमों को हटाकर एक ही योजना बना दी जाए.

मगर अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को लगता है कि उनका पेशा अलग है और ज़रूरतें भी. ऐसे में सबके लिए एक ही पेंशन योजना बना देना ठीक नहीं है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ऐसे में शिक्षक, वकील, परिवहन कर्मचारी, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्य कर्मी और अन्य क्षेत्रों के कामकाजी लोग सरकार की योजना के विरोध में उतर आए हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

पिछले कुछ सालों में फ्रांस में हुई ये सबसे बड़ी हड़ताल थी. ज़्यादा दिन नहीं हुए हैं जब इसी देश में ईंधन की कीमतें बढ़ाए जाने के विरोध में येलो वेस्ट मूवमेंट हुआ था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ्रांस में इस तरह के विरोध प्रदर्शनों का इतिहास रहा है. वैसे तो दुनिया भर में अलग-अलग मुद्दों और मांगों को लेकर प्रॉटेस्ट होते हैं मगर वे फ्रांस की तरह संगठित, व्यवस्थित और व्यापक नहीं होते.

समय-समय पर हुए कई आंदोलनों ने फ्रांस को समय-समय पर दिशा दी है. इस सदी की शुरुआत में फ्रांस में छात्रों के प्रदर्शन हुए हैं, ट्रेड यूनियनों में विभिन्न मुद्दों पर प्रदर्शन किए हैं और 2010 के आसपास भी पेंशन सुधारों को लेकर प्रदर्शन हुए थे.
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लैंगिक समानता और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के मुद्दों पर भी आंदोलन चले हैं. ऐसे प्रदर्शन और आंदोलन बेंचमार्क रहे हैं जिन्होंने फ्रांस की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को विस्तार दिया है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ख़ास बात है कि फ्रांस में हुए अधिकतर आंदोलन श्रमिक अधिकारों को लेकर हुए हैं. इनमें न्यूनतम आय, काम करने के माहौल, वहां पर सुविधाओं वगैरह के लिए हुए हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इन सभी प्रदर्शनों को जो बात ख़ास बनाती है, वह है इनका दायरा. जैसे कि अभी पेंशन को लेकर हो रहे प्रदर्शनों में सड़क यातायात से लेकर हवाई सेवा तक प्रभावित हुई. इस तरह के आंदोलनों के दौरान कई बार देश को चलाने वाले एनर्जी सेक्टर में काम करने वाले लोग भी कामबंदी कर देते हैं. नतीजा, पूरा देश थम जाता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ये प्रदर्शन फ्रांस में मौजूद ट्रेड यूनियनों के प्रभाव और उनकी एकजुटता के कारण प्रभावी बनते हैं. ये यूनियनें भले ही अलग क्षेत्रों की हों, मगर एक-दूसरे के आंदोलनों को समर्थन देती हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ्रांस में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार रणवीर नायर कहते हैं ये यूनियनें यह ख़्याल भी रखती हैं कि किसी भी प्रदर्शन के दौरान पुलिस या सरकार प्रदर्शनकारियों का दमन न कर पाएं.

वह बताते हैं, "यूरोपीय संघ में फ्रांस ही शायद ऐसी अर्थव्यवस्था है जहां पर यूनियनें मज़बूत हैं जो बड़े प्रदर्शन या हड़तालें कर सकती हैं. जब किसी एक यूनियन की बात आती है तो उससे भले ही अन्य यूनियनें पूरी तरह सहमत न हों, फिर भी वे समर्थन जताती हैं. वे यह भी देखती हैं कि प्रदर्शनकारियों पर सरकार या पुलिस सीमित बल प्रयोग करे. जैसे कि गुरुवार को जब प्रदर्शनकारियों ने सख़्ती बरती, लाठीचार्ज किया तो उसके ख़िलाफ़ बड़ा प्रदर्शन हो गया. एक केस भी इसके विरुद्ध दायर हुआ है."

यानी विभिन्न संगठनों का आपसी सहयोग और तारतम्य किसी भी प्रदर्शन या आंदोलन को व्यापक बनाता है. सवाल उठता है कि आख़िर इस सहयोग और एकजुटता का कारण क्या है? जवाब है- फ्रांसीसी क्रांति.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ्रेंच रेवलूशन या फ्रांसीसी क्रांति पूरी दुनिया के इतिहास का एक अहम घटनाक्रम है. फ्रांस में आंदोलनों और प्रदर्शनों के दौरान दिखने वाली एकजुटता की जड़ें इसी तक जाती हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

1789 में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हुए व्यापक प्रदर्शनों के कारण ही कारण नौवीं सदी से चली आ रही राजशाही का अंत हुआ था और पहली बार गणतंत्र की स्थापना हुई थी. दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर यूरोपियन स्टडीज़ में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉक्टर शीतल शर्मा बताती हैं कि तभी से यहां सत्ता के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की मज़बूत परंपरा शुरू हुई है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

डॉक्टर शीतल कहती हैं, "फ्रांस के इतिहास को देखें तो वहां आठ-दस सदी पहले भी प्रदर्शन हुआ करते थे. मगर फिर हुआ फ्रेंच रेवलूशन जिसने पूरी दुनिया में लोकतंत्र और गवर्नेंस का सिस्टम ही बदल दिया."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ्रांसीसी क्रांति की सबसे बड़ी देन है- Liberty, equality, fraternity यानी स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व. यही फ्रांस का आधिकारिक ध्येय वाक्य भी है. डॉक्टर शीतल बताती हैं कि इसी से फ्ऱांस में ऐसी व्यवस्था उभरी जिसमें आम नागरिक को बहुत प्रतिनिधित्व मिला. इसमें यूनियनों यानी श्रमिक, कारोबारी और अन्य कामकाजी लोगों के संगठनों की अहम भूमिका रही है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

डॉक्टर शीतल कहती हैं, "प्रदर्शन तो हर जगह होते हैं मगर फ़्रांस में होने वाले प्रदर्शन व्यवस्थित होते हैं. इसमें यूनियनों की भूमिका अहम है. विरोधाभासी बात यह है कि पूरी यूरोप की तुलना में फ़्रांस की यूनियनों में सबसे कम सदस्य मिलेंगे. फिर भी यहां ट्रेड यूनियमें स्ट्रॉन्ग हैं और वे हर सेक्टर का प्रतिनिधित्व करती हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ़्रांस में यूनियनों को मान्यता भी तभी मिलती है जब वे कुछ मूल्यों और मानमुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रहकों को पूरा करती हैं. उनका काम भी काफ़ी व्यवस्थित रहता है और वे गणतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करती हैं. यही कारण है कि सदस्यों के मामले में वे भले ही छोटी हों मगर प्रतिनिधित्व पूरी मज़बूती से करती हैं.

फ्रांस का इतिहास सत्ता में बैठे शक्तिशाली वर्ग के ख़िलाफ़ आम लोगों के उठ खड़े होने के उदाहरणों से भरा हुआ है. इसमें 1871 का पैरिस कम्यून भी अहम है जब मज़दूर वर्ग ने पहली बार सत्ता संभाली थी. 1905 और 1917 की रूसी क्रांतियां भी इसी से प्रेरित मानी जाती हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह
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इसके अलावा, फ्रांस में कम्यूनिस्ट-सोशलिस्ट पार्टियों का भी ख़ासा प्रभाव रहा है. यही कारण है कि यहां समाजवाद और पूंजीवाद का मिश्रण देखने को मिलता है.

1981 में फ्रांस में पहली बार सोशलिस्ट उम्मीदवार ने राष्ट्रपति चुनाव जीता और 1995 में हुए चुनावों तक समाजवादी ही राष्ट्रपति बनते रहे. इससे भी भी ट्रेड यूनियनिज़म मज़बूत हुआ है. इसी कारण यहां प्रदर्शनों की संस्कृति मज़बूत हुई और कोई भी सत्ता इन प्रदर्शनों को कुचल नहीं सकी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार रणवीर नायर बताते हैं, "वैसे तो किसी भी सरकार को पसंद नहीं आता कि उसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन हों. मगर फ्रांस में कई दशकों से प्रदर्शनों की संस्कृति रही है. 1950 के दशक में जनरल चार्ल्स डी गॉल के ख़िलाफ़ भी प्रदर्शन हुए थे. 1960 में कम्यूनिस्ट-सोशलिस्ट पार्टियों के समर्थन से आंदोलन हुए."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"सरकार इन प्रदर्शनकारियों का दमन नहीं कर सकती है क्योंकि लोगों के मन में हैं कि विरोध करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है और वे इस अधिकार को इस्तेमाल भी करते हैं. येलो वेस्ट मूवमेंट इसका उदाहरण है जो 10 महीनों तक चला और जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह
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ऐसा नहीं है कि जनता प्रदर्शन करने वालों के सारे विषयों से सहमत होती है मगर जनता किसी के भी प्रदर्शन करने के अधिकार का बचाव करती है. इसी कारण किसी आवाज़ फ़्रांस मे अनसुनी नहीं रहती.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसका श्रेय भी फ़्रांसीसी क्रांति को जाता है जिसके कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिणाम रहे थे. दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर यूरोपियन स्टडीज़ में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉक्टर शीतल शर्मा बताती हैं, "फ्रेंच रेवलूशन के समय का दौर ऐसा था जब अमरीका की स्वतंत्रता की लड़ाई को पैसा देते समय फ़्रांस पर काफ़ी कर्ज़ आ गया था. संपन्न लोग टैक्स नहीं देते थे और पूरा बोझ आम जनता पर पड़ता था. लूई 16वें यहां के शासक थे. वह आम जनता से कटे हुए थे और ख़ुद ऐशो-आराम से रहते थे."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"इससे त्रस्त फ़्रांस में जो क्रांति हुई, उसके कई नतीजे निकले. इनमें वोट देने का अधिकार शामिल था. नए संविधान में आम लोगों के प्रतिनिधित्व की बात हुई, धर्म को राजनीति से अलग कर दिया गया. इससे आम आदमी की पहचान बनी, उसे प्रतिनिधित्व मिला. ऐसा नहीं था कि आप संपन्न हैं तभी आपका महत्व होगा. आम आदमी, उसके श्रम को पहचान मिली."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"इसी तरह की विचारधारा को समाजवाद, साम्यवाद से बल मिला. इससे श्रमिक वर्ग सशक्त हुआ. वह इस लायक बना कि अपने अधिकारों को पहचान सके और सरकार, संगठन आदि के माध्यम से अपनी बातों और ज़रूरतों को आगे रख सके."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रहमुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अपने अधिकारों के लिए उठ खड़े होने और अपनी मांगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करना का तरीक़ा पूरी दुनिया सिखाने वाले फ्रांस के अंदर अब उग्र और हिंसक प्रदर्शनों का चलन भी बढ़ा है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसका ताज़ा उदाहरण येलो वेस्ट मूवमेट था, जिसमें हिस्सा लेने वाले प्रदर्शनकारियों ने पैरिस और अन्य शहरों के स्मारकों और पर्यटन स्थलों में तोड़फोड़ की थी. वरिष्ठ पत्रकार रणवीर नायर बताते हैं कि यह चलन हाल के कुछ समय में देखने को मिला है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ़्रांस में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार रणवीर नायर कहते हैं, "अमूमन फ़्रांसीसी प्रदर्शनों और आंदोलनों में मेलों जैसा माहौल देखने को मिलता था जिसमें शामिल होने वाले लोग नारे लगाकर या गाते हुए अपनी बात कहते थे. मगर हिंसा की घटनाएं अब बढ़ने लगी हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"पहले भी प्रदर्शन होते थे मगर इतने हिंसक नहीं होते थे. चार-पांच सालों से ये उग्र हुए हैं. जैसे कि येलो वेस्ट के प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को काफ़ी नुक़सान पहुंचाया था. दुकानों, बैंकों आदि को तोड़ा और लूटा गया था. इसमें ब्लैक मास्क नाम से पहचाने वाले कुछ लोग हैं जो अति वामपंथी हैं जिन्हें कुछ लोग अराजकतावादी भी कहते हैं. ये कुछ चुनिंदा लोग हैं जो पूरे प्रॉटेस्ट को हाइजैक करके हिंसक रंग दे देते हैं."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बावजूद इसके, फ़्रांस में प्रदर्शनों की संस्कृति की स्वीकार्यता बनी हुई है. वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ख़ुद भी 2017 में 'द रिपब्लिक ऑन द मूव' नाम के राजनीतिक आंदोलन के दम पर सत्ता में आए हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फ्रांस में जागरूकता का स्तर ऐसा है कि कोई भी शख़्स राजनीतिक और आर्थिक मामलों से ख़ुद को अछूता नहीं पाता. हर मामले में वह भागीदारी और प्रतिनिधित्व चाहता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्र

और जब कभी आम फ्रांसीसी नागरिक को लगता है कि उसे फैसले लेने की प्रक्रिया से दूर रखा गया या सरकार का कोई क़दम उसके जीवन को प्रभावित कर सकता है, तब-तब वह सड़कों पर उतरा, प्रदर्शन किए हैं, आंदोलन चलाए और क्रांतियां हुईं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इन्हीं प्रदर्शनों, आंदोलनों और क्रांतियों ने बाक़ी दुनिया के प्रदर्शनों, आंदोलनों और क्रांतियों को भी प्रेरणा दी है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

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